लु-स्युन-क्षेमेन्द्रयो: साहित्यतत्त्वचिन्तनम्
साहित्यमीमांसाशास्त्रे आचार्येण क्षेमेन्द्रेण औचित्यतत्त्वं प्रतिपादितम्। तन्मते औचित्यं काव्यस्यात्मा। समुचितपदवाक्यादीनां प्रयोगे काव्यस्य सुकाव्यत्वम्। किन्तु पदवाक्यादीनामभावात् काव्यं यथार्थतया सहृदयहृदि स्थानं न लभते। चीनदेशीय: लु-स्युन-महोदय: काव्यस्य विषयस्योपरि गुरुत्वमारोपयति। यथार्थकाव्यव...
Main Author: | |
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Format: | Article |
Language: | English |
Published: |
DR. SUGYAN KUMAR MAHANTY, CENTRAL SANSKRIT UNIVERSITY, VEDAVYAS CAMPUS, BALAHAR, DIST. KANGRA,TEHSIL-RAKKAR, H.P. INDIA, PIN – 177108
2019-12-01
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Series: | Prachi Prajna |
Subjects: | |
Online Access: | https://docs.google.com/viewer?a=v&pid=sites&srcid=ZGVmYXVsdGRvbWFpbnxwcmFhY2hpcHJham5hYXxneDozNmIzODY4YjdlMzhlOWJh |